भूल गया था

एक नाकाम कोशिश ही रही 
पथरायी विश्वासों की ज़मीनों पर 
आस  स्नेह के बीज बोना
तु तो अमरत्व लिये था 
भूल गया तु तो अश्वत्थामा था

कुपाचारी घृणा फैलाने वाले तेरे लोग
ग़लतफ़हमी की फ़सल पिरोते गये
तेरी उपहास वाली चुनौती थी 
सत्य के अर्जुन को
भूल थी कि तु मानवीयता लिये हुऐ था

चल अब विश्वासों के आघातों का रण होगा
एक तरफ़ तुम्हारे गुरुर और मेरे स्नेह का
अजमाले अब जितना बचा है 
ये लड़ाई बुराई के घमण्ड को तोड़ने की है
भूल थी कि तुझमें अपना कोई देखा था  

 

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