आघात

खोखला कर जाता है 
विश्वास जो एकतरफ़ा हो
समग्र त्याग की भावना 
नज़रों मे अपनापन चाहती ही है

हकिकतो की दिवारों पर 
कोई गोपनीय सन्देश नहीं होता
पढ़ न सके जो ख़ाली मन को
ऐसा सम्मानों का अपनापन नहीं होता

रास्ते सबके अलग होते है 
भावनाओ की कोई मंज़िल नहीं होती
चला हो मन जिनके साथ कुछ दूर
ऐसे मन के रिश्ते की कोई सीमा नहीं होती 

कौन साथ चला है मंज़िल पर आते आते
जीवन की प्रतियोगिता मे दौड़ समान नहीं होती 
सब कुछ हार जाने का मन होता है  जहाँ 
ऐसे मन पर किसी के घात की आघात नहीं होती


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