मन तक

वो संजीदगी वो सच्चाई तेरी 
आज भी मायने रखती है उतनी ही
चेहरों के भाव बदलने से कुछ नही होता
ये मनों की बात थी मन तक ही रहने दो

वो नजदिकियां अब वो दूरियाँ यहाँ 
आज भी बन्धन मे बाँधे हुए है तुझसे 
साथ छूट जाने से सबकुछ नही छूटता
ये बेस्वार्थ की बात है मन तक ही रहने दो

वो हँसी जो ख़ामोशी है चेहरे की
आज भी खिंचती है तेरी ओर 
मौन रहने से बातें कब बन्द हुई
ये नज़र की बात है बस कहने दो उन्हें ......


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