हम जैसे अक्खड़


सुना है कि वो ज्यादा परवाह से परेशान है
युहीं वो आजकल हमसे नाराज़ है
इस शहर की हवा ही कुछ ऐसी है
जब तक अजनबी हो पूजे जाओगे
अपना बने तो क़त्ल कर दिए जाओगे

सुना है कि उसके उड़ने कि तारीखे तय हैं
वो युहीं सबसे मेलमिलाप बढ़ाये बैठा है
ज़माने का दस्तूर ही कुछ ऐसा है
अपने परयो मै फर्क न पाओगे
हाँ!! दोस्त समझोगे तो छले जाओगे

सुना हैं कि नज़र मिलाते हैं वो सबसे
सबसे खुलकर बात करते हैं
होगी कोई नाराज़गी हमसे ही शायद
जो मेरे जिर्क को दूर ही रखा हैं  उसने
फिर भी हाँ हम जैसे अक्खड़ और कहा पाओगे 

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