चल बहुत हुआ

ये सफ़र बस ख़त्म सा 
ये लिखना लिखाना दर्द का 
चल टूट जा ऐ क़लम !
कौन है जो तुझे समझ पाया है 

खामोंश पलो के कुछ शब्द 
ये गीत ग़ज़ल सम्मान की 
चल बन्द हो जा ऐ किताब !
कौन है जो तुम्हें पढ़ पाया है 

उकेर गयी कुछ अनमिट यादें 
ये सुनना सुनाना अपनेपन का 
चल फिर अजनबी हो जा ऐ ‘मन’!
कौन है जो तुम्हें याद रख पाया है 

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