यहाँ


यहाँ पुरस्वार्थ जीता है
कपट से दूर हैं कर्म भी
जो था मन में जता डाला
कभी दोगला जीवन नहीं जीया

संघर्ष था अपने मूल्यों का
सुरक्षा, आत्मसम्मानो की
मानी हार, थी जहाँ गलती
कभी जीतने के लिए नहीं माना

वो  उजाला  पास था सबसे
कभी अँधेरा डरा  न पाया
उसे खोना और पाना क्या
जो मन के पास था सबसे 

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