बाबा

जिसके आँसुओं को भी 
शायद हमने पसीना समझा होगा 
जिसने हमें कुछ बनाने के लिए 
सब कुछ अपना दाँव पर लगा दिया
वो तुम ही बाबा 
जिसने इस सहरा को हरा भरा बना दिया 

जिसके घावो को भी 
शायद हमने लकीर समझा होगा 
जिसने हमें सिखाने के लिए 
अपने सब अवसर तांक पर रख दिये 
वो तुम ही हो बाबा 
जिसने नवजात को पंख लगा दिये 

जिसकी बिलखती आवाज़ को भी
शायद हमने संगीत समझ लिया होगा
जिसने हमें चलाने के लिए 
अपनी हर मंज़िल बदल दी 
वो तुम ही हो बाबा
ये सब कुछ तुझ पर क़ुर्बान है 

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