माँ सोचती होगी

माँ जब भी पड़ोस की बुवा और वोह कुत्ता मेरा
अचक से घर के  दरवाजे पर आते होंगे
मेरी माँ के  दिल में   एक धड़कन
फिर  सोचती होगी की मेरे बच्चे आये होंगे
इन जड़ो की ठंडी दुपहरों में
 गुमसुम छत पे गेहू सुखाती हुई
 जब घर से सटे पेड़ से
अनार गिर के आएंगे
 माँ सोचेगी की मेरे बछो ने गिराए होंगे
उठ कर देखेगी तब कही ,
फिर  मन मसोड़ कर बैठ जायेगी
तभी छुट्टी होगी स्कुल  के बच्चो की
चाय का प्याला  हाथ में लिए  आती होगी
कभी चुपचाप गाय की गोशाला में
पूरा दूध जमीं पर काड  देती होगी
फिर गाय को सहाल कर
खाली बर्तन लिए  घर चली आती होगी
गुनगुनाते हुए रात में  खाना बनाते समय
कई बार अंगीठी में हाथ  जलाती  होगी  
युही रात को हमारे बिस्तर पर देखकर
चुपचाप रजाई उडाकर सोचती होगी
कि मेरे बच्चे सोये होंगे …………………….

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