वो दो

वो अविश्वासों की खायी खोदे
यूँ बैठे रहे कि जब हम पास आयें
अपनेपन के हर पल कुचल डालें 
हर अहसास पनपने से पहले मर जायें

वो जिसके लिए इन्तज़ार था बरसो
असमंजस इतना कि न ही आयेगा
वो बरसो बाद आया तो यूँ आया
अविश्वास की हर ऑधी उड़ा ले गया

....,,.

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