कभी कभी

कभी तुझे सोचना 
कभी भूला सा मान जाना 
कभी संदेशों के सहारे 
तुझे पास पा जाना 
मन ने की हैं बातें बहुत 
कभी तुझे अपना मानना 
कभी परायों मे गिन जाना 

कभी समर्पण का भाव
कभी अपनो सा लगाव
कभी तेरी नज़ाकत के साथ
तुझे टटोल जाना 
मन उड़ा है हर सरहदों के पार 
कभी तेरी सीमाओं की हद  
कभी अपनी रेखायें खींच जाना 

कभी यादों के अनसुलझे पड़ाव 
कभी तेरी नज़रों के सवाल 
कभी वो शंकाओं वाले दिन 
सबसे दूर हो जाना
हर तरह से तोला है खुद को 
कभी खोया चाहा है 
तो कभी पाया है तुझको 


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