हर

तु हर छोटी बात मे है 
तु धरती ‘आगाश’ मे है 
सोये मन के कोने में
तु हर धड़कन हर साँस मे है

तु हर पल हर विचार मे है 
तु मन के हर संताप मे है
सावन के भीगे झुरमुट में
तु हर स्वभाव हर काज मे है

तु हर क़दम हर जगह पे है  
तु गुपचुप हर नमन मे है 
एकाकी शाम और चहचहाती सुबह
तु हर दिन के हर पहर मे है 

तु हर बात हर ज़िक्र मे है 
तु खोती हुई हर मिशाल मे है
‘जानता तु सब कुछ है’
तु हर नज़र के हर सवाल मे है 



Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण