कहाँ है

मन जब शून्य हो
विचार जब खामोश हो 
यादों से वो चेहरा धूमिल हो
तब अनुभूति ने आवाज़ दी
कि तु कहीं खोया है आज 

संदेश जब रुके हों
तार मनों के उखड़े हो 
नज़रों मे धुन्ध का ग़ुबार हो
तब स्मृतियों का संदेश आया
कि तु कहीं खोया है आज 

पवन जब थमी सी हों
साया बादलों का उमड़ा हो
सूखी धरती पर स्नेह का अकाल हो 
भावनाऐं ख़ामोशी  से बता गयी 
कि तु कहीं खोया है आज 


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