खामोश यादें

देखा है वो बसन्त
पतझड़ सावन मन्द 
तेरे बिछड़ने का ग़म 
नादान बिलखता मन 

खोखले से आदर्श लिए 
भटकते उठते पड़ते क़दम 
डगमागाता सा विश्वास
पागल बदहवास मन 

दूरियों में ढलता प्रकाश 
नज़दीकियों का वहम 
जुड़ी रही कुछ खामोश यादें
खाईयों मे दबता मन 

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