कोशिशें करता रहा

जब आवाज़ खामोश हो
जुबाँ कुछ कहना चाहे
और नज़र तुझे पढ़ना चाहे
ऐसे मे भी ये मन सदा
गूंगा और अनपढ़ ही रहा....

आशाएँ अन्नत होती हैं
विचार हर दिशा घूम आते हैं
ख्याब कुछ देखना चाहे
ऐसे मे भी ये मन सदा
एकटक तुझे सोचता ही रहा ....

समय सब दिखा जाता हैं
कलम सब लिख जाती हैं
कहना जब हो बहुत कुछ
ऐसे में भी ये मन सदा
गुमशुम संभलने की कोशिश करता रहा 

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