फिर लौटाओगे

उलसाये पेड़ों को देखा 
पानी को तरसते शहर को देखा
तो उमड़ते बादलों से पूछा
क्या अब  तुम भी बरसोगे? 

कमते नदी के स्तर को देखा
ख़ाली बर्तनों की रेहडी को देखा
सूखते कुऐ से फिर पूछा 
क्या अबके फिर तरसाओगे 

उन बरसाती झरनो को देखा 
किसी के बहते आँसुओं को सोचा 
पानी मे दौड़ते उन बच्चों से पूछा
क्या मेरा वो कल फिर लौटाओगे 




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