तलाश में

वक़्त ठहरता तो पूछता
क्यो हड़बड़ी में रहता है 
दौड़ना तो सबको था 
मंज़िलों की तलाश में 

मन पढ़ता तो पूछता 
किताब मे लिखा क्या है 
खोजना तो सबको था
पाने की तलाश में

बहता साथ तो पूछता 
किनारे पर रखा क्या है 
तैरना  तो सबको था
पार पाने की तलाश में 

Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण