मनिहार

संवेदनाओं के सूनेपन में
खुशी के गीत- ग़ज़लों का 
प्रकृति के रंगों में पला-बढ़ा 
मैं मनिहार सपनों का 

आशाओं के फैले सागर में
कमल की कोमल कुमदिनीयों सा 
आस की कोंपल खिलाता हुआ
मैं मनिहार सपनों का 

बुग्यालो की लहराती घास में
ख़ुशबू की फैली बयार का 
अस्तित्व की तलाश मे भटकता
मै मनिहार सपनों का 

धर्म जात के भेदभावी गाँव में
एकजुटता की अनदेखी आस का
ख़ुशियों की गठरी थामें हुआ 
मैं मनिहार सपनों को

समाया बच्चों की मुस्कुराहटो में
ख़ानाबदोश मंज़िलों की तलाश का 
अपने हर ग़म को छुपाता हुआ
मैं मनिहार सपनों का 



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