बयार

हिमालय की पिघलती बर्फ
बनकर बहती धरा
सृष्टि में जीवन देने वाली
हर बयार को जगा जाती है

झुरमुटों में चहकती आवाज़
मन पर दस्तक देकर
स्नेह को झकझोर करने वाले
हर अहसास जगा जाती है

अकेली शामों का सूनापन
अँधियारों को चीरता हुआ
ख्यालो में अवतरित होने वाली
हर शंकाओ को मार जाता है 

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