चल मन! दूर कहीं

वो जो  सिखा गया
खुद उसे याद नहीं है
समय के थपेड़ों में
वक्त किसी के पास नहीं है

जो मनशक्ति सीखा गया
वो ऊर्जा झूठ नहीं है
शून्य के बाज़ारों में
अहसास किसी के पास नहीं है

जो सूर्य सा चमक गया
वो परछाई में साथ नहीं है
अकेलेपन के विचारों में
झूठी स्वांतना किसी के पास नहीं है

आंधियों में ख़ामोशी जाता गया
सांसो का वो बंधन साथ नहीं है
चल मन! दूर कहीं पहाड़ो पर
हिमालय सी शांति यहॉं नहीं है

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