समय
कभी समय की मीनारों पर
अवशेष बना पाया खुद को
रजमाटी में सम्मिलित होता
बीज पड़ा पाया खुद को
दें न सकूँ कुछ त्याग जगत में
बस जतन जुगाता कलरव हो
तुम भी हो और मैं भी हूँ
बस अलग मंज़िल पर राह एक हो
कभी समय की मीनारों पर
अवशेष बना पाया खुद को
रजमाटी में सम्मिलित होता
बीज पड़ा पाया खुद को
दें न सकूँ कुछ त्याग जगत में
बस जतन जुगाता कलरव हो
तुम भी हो और मैं भी हूँ
बस अलग मंज़िल पर राह एक हो
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