अजनबी

दूरियाँ में ख़ामोशी से स्नेह पलता है 
ख़ामोशी मे कहीं कोई उन्माद रहता है
पहल की कोशिश तेरी  होती नही 
सोच तुझसे दूर कहीं जाती नही 

गूँगे कब बोल पड़े सूरों की तान पर
दुश्मन कब खड़े रहै अपनो के साथ में
मनों से दूर  होता नही जो अजनबी 
पास जाने की कभी कोशिश होती नही 

अपनेपन सोचने को मजबूर करता है 
विश्वास सब कुछ थामे से रखता है 
जिसने अपनों मे गिना ना ओ अजनबी 
रह रहकर सोच को घेर लेता है अजनबी 

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