ये साल

कभी खुशी दे गया कभी आँसू दे गया
कभी हार दे गया कभी जीत दे गया
भरोसे के किसी झुरमुट में जुगनु कभी 
रोशनी दे गया कभी विश्वासों के ठूँठ जला गया
घावों को नासूर तो क़लम को कलमी दे गया 
 ये साल ऐसी हा कुछ अनमिट यादें दे गया 

सुनहरे कुछ पलों मे रिश्तों की नींव रख गया 
खाली कोनों में स्मृतियों के चिराग़ जला गया 
बड़ों का आशीर्वाद और छोटों का प्यार दे गया
कभी सम्मानों की दहलीज़ पर बिठा गया 
तो कभी ख़ालीपन के महल दे गया 
ये साल कभी दौड़ता लगा कभी ठिठका लगा

पाना खोना जीतना हारना इस साल भी रहेगा
अपनो सा कोई चेहरा फिर यादों मे रहेगा 
शिखर पर लहराती पाताकाओं में 
अपनों का हाथ और सर-माथे लहरता अहसास
इस साल फिर कोई रंग मन को केशरिया रंगेगा  



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