न हुआ

ख़ामोशी को ओढ़कर 
न तु खुशी छुपा पाया 
न ग़म ही ओढ़ पाया 
सम्मानों के सतह पर अड़ा रहा
न वो दिवार गिरा पाया 

दूरियाें का लम्बा बहाना 
न भावनाएँ मार पाया 
न विचार शून्य कर पाया
वहमों के बाज़ीगर का साथ रहा
न वो अहसास मार पाया 

कोशिशों  का सहारा
न तुम्हें भूला पाया 
न मुझे ही सुला पाया 
जग साथ सा लगता रहा 
न वो उदासी मार पाया 

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