सदियां हो गयी

वो दरवाजा जहाँ ठिठक जाता था
उस एक उठती नज़र के लिए
लगा की सदियां हो गयी
और वो किताबें इतिहास हो गयी

वो रेलिंग के सहारे छुपने की कोशिशें
उस गुस्से को दबाने के लिए
लगा की सदियां हो गयी
और वो किस्से कहानियां हो गयी

वो बातें जिनमें तर्क जी कमियां
उस चेहरे की भाव को जानने के लिए
लगा की सदियां हो गयी
वो आदतें भावनाओं में तब्दील हो गयी 

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