दूर थे

कुछ ख्वाइशों का खेल था
कुछ तक़दीर की बानगी
कुछ पास आये दूर होकर
दूर थे जब पास थे

कुछ तेरे लोगों की साजिशें
कुछ उपजाए थे बहम
कुछ विश्वासों का जोर था
दूर थे भूले नहीं

कुछ मनों को जोड़ता
कुछ  सीमाएं टूटती रही
कुछ कदमो का तेज चलना
दूर थे भूले नहीं 

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