पत्थर

तब भी जब तु आया था
तब भी जब तु चला गया 
तब भी पत्थर ही था मैं 
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

जब   तुमने रुलाया था 
जब  तुमको रुलाया था 
तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

जब तुमने ठुकराया था
जब तुमको अपनाया था
तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

जब तु मुस्कुराया था 
जब तुमको हँसाया था
तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

जब जग हँसा हँसाया था 
जब टूटा और तोड़ था  
तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

घिसा नही हूँ झुका नही हूँ 
उन आसूंओ में भीगा हुआ हूँ 
यूँ तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

हों ठोकर या पूजा जाऊँ 
फैंका जाऊ तोडा जाऊँ 
तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

करूँ नव सृजन हर दिन
हर दिन कुछ तरासा जाऊँ 
यूँ तब भी पत्थर ही था मैं
अब भी पत्थर ही हूँ मैं 

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