कभी कभार

 वो जो कभी कभार का 

बचपना बचा है न हममे 

वो ही है जो जीवन को 

असल रंगो से भरता है  


वो कभी कभार की हम 

लुका छिपी खेलते हैं न 

वो ही है जो जीवन को 

स्फूर्त सा कर देता है 


वो जो कभी कभार हम 

रूठना मानना सा करते हैं न 

वो ही है जो जीवन को 

चला सा देता है 

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