तेरी मेरी

 

उससे और खुद से भी शिकायतें तो बहुत हैं 

आज जो कहता है चल जी ले अपनी जिंदगी  

टूटी थी ये आस भी बिखरा था एक ख्वाब सा 

शहर भी  तेरा ही था तेरी रही अदालतें 


रोकता तु दो-घडी पूछता सवाल भी 

आज जो कहता है चल तु कभी मुडा नहीं 

रोया था ये मन कभी लूटा था वो अमन मेरा

नज़र भी तेरी ही थी तेरी रही शिकायतें 


एक पल तेरे बिना सूझता था दिन नहीं 

आज जो कहता है चल तु कभी रुका नहीं 

खोया था चैन भी उडी वह नीड थी मेरी 

हक़ भी तो तेरा ही था तेरी रही नवाज़िशें।।। 

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