चलो बाँटे बराबर

 वो लिखता है पढ़ता है वो खोया सा रहता है 

बंधा मुझसे वो डोरी में खींचता पास आता है 

रही नाराजगी जग से वो मुझको डाँट देता है 

वो कहता है चलो बातें नहीं करनी हमें तुझसे 


चुप रहता है गुमशुम वो जरा सहमा सा रहता है 

हजारों बात मन में है कहना मुझसे चाहता है 

कहता है चलो बाँटे बराबर हिसाब रखता है 

वो कहता चलो साँझा नहीं करना हमें तुझसे 


सजता है संवारता है वो चुपके से तकता है 

जुबां पर बात है लेकिन वो खामोश रहता है 

कहता है चले जाओ पर अधिकार रखता है 

वो कहता है नहीं रखना कोई रिश्ता हमें तुझसे


जो जगता था दिनों में वो अब रातों को जगता है

आँखे बोलती  सबकुछ वो चेहरा शांत रखता है 

कहता है चलो सो जाओ खुद जागा सा रहता है  

वो कहता है चलो बातें नहीं करनी हमें तुझसे

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