जिद्द सच का साथ देने की है : देवस्थानम बोर्ड

 

आजकल उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड फिर चर्चाओं में है । चर्चा का वर्तमान विषय मुख्य रूप से चारों धामों से  नामित सदस्यों को लेकर है।  सरकार या देवस्थानम बोर्ड ने किस प्रक्रिया के तहत इन सदस्यों का चुनाव किया है इसका भी कोई ज्यादा विवरण न सरकार दे पा रही है न देवस्थानम बोर्ड।  क्या ये चुने गए जनप्रतिनिधि सही में जन का प्रतिनिधित्व  करते हैं ये बड़ा सोचनीय विषय है।  सरकार और बोर्ड को इस पर अपना पक्ष आज नहीं तो कल रखना ही होगा।  
आज धामों और जनता  के विरोध प्रदर्शन ये दिखाते हैं की सरकार में बैठे  बोर्ड के कुछ  हिमायती मंत्रियों  और नेताओं के अलावा ज्यादा लोग अभी तक के देवस्थानम बोर्ड के पक्ष में तो नहीं दिखते। 
और देखा भी क्यों , अगर आप बोर्ड के अधिनियम को पूरा पढ़ेंगे तो आपको ये समझना मुश्किल है कि इन पदाधिकारियों , सदस्यों , कर्मचारियों , अध्यक्ष , दानदाताओ , गैर वंशानुगत , वंशानुगत पुजारियों , हक हकूक धारियों का चुनाव किस विधान से होग।  कौन उनका चुनाव करेगा ?  मतलब साफ़ है काका , मामा , बेटा , फूफा का लड़का , पार्टी का दलबदल कोई नेता , दर्जाधारी कोई चमचा ही बोर्ड के विभिन्न पदों पर होंगे।  इसकी शुरुआत होती दिख भी रही है।  
 अब आप पुरानी व्यवस्था की बात करिये।।  मंदिर समितियों से पहले धामों का संचालन स्थानीय समितियां या सभाएं करती थी , फिर सरकार ने धामों में नोटिफ़िएड एरिया एक्ट लायी , फिर मंदिर समितियां बनी।  कुछ हद तक देखा जाय तो केदारनाथ बद्रीनाथ मंदिर समितियों ने ठीक ही काम किया।  हालांकि बीच में  कुछ आरोप लगे होंगे।  
अब जब देवस्थानम का गठन होगा तो मुख्यमंत्री जी से लेकर सांस्कृतिक मंत्री , दो चार सचिव स्तर के अधिकारी और उसके अलावा १७-१८ और लोग होंगे।।  उनका चयन का आधार क्या होगा ये आज के उपाध्यक्ष महाराज जी बताएँगे।  स्थायी उत्तराधिकार वाला निगमित निकाय क्या होगा?  ये बोर्ड यात्रा का कुशल प्रबंधन करेगा जिसके पास अपने अभी तक अपने न साधन है न गेस्ट  हाउस।  हाँ मजदूरों , दुकानदारों , स्थानीय लोगों पर कैसे कर रुपी कुछ लिया जाएगा इसका खाका तैयार जल्दी  होगा। जितनी मेरी समझ है और जितना मैं देवस्थानम बोर्ड को पढ़कर समझा हूँ , मुझे लगता है कि आगे आने वाले दिनों में देवस्थानम बोर्ड कर्ज में डूबा कोई बैंक होगा जिसका सारा पैसा किसी नेता के घर होगा।  जनता , विकास , रोजगार का इस अधिनियम से  कुछ लेना देना नहीं बस एक संस्थागत लूट की तैयारी है  ।  
 मुख्यमत्री जी ये जरूर बताये कि आपकी उस बात का  क्या जो आपने मुख्यमत्री होने के समय कही थी कि पुनर्विचार होगा ?  क्या कांग्रेस से बीजेपी में  शामिल हुए महाराज जी के नेताओं का  कुनबा आप पर इतना भारी है कि आप कुछ कर , कह नहीं पा रहे हैं ? आप लोग नेता है सिद्धांतों से समझौता कर दलबदल कर लेना, अपनों को ही ताक पर रख देना ,  यहाँ जिद्द सच का साथ देने की हैं। आपका, आपके लोगो का, पार्टियों के नाम पर जनता से छल करने वाले छुटकूभैया नेताओ का , कांग्रेस से बीजेपी में आये चमचों का और  देवस्थानम बोर्ड का विरोध जारी रहेगा। 

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