अब भी तो है

 

दर्द की एक कहानी उसकी भी है 

आंसुओ को छुपाती खुमारी भी है 

पूछता हूँ कभी कुछ बताता नहीं 

उंगुलियों को दबाता वो अब भी तो है ।  


प्यास की एक कहानी उसकी भी है 

संधियों की कुछ शर्तें उसकी भी हैं 

वो निभाता रहा त्याग स्नेह सब 

मन में आरज़ू दबी वो अब भी तो है  । 


फर्ज की एक कहानी उसकी भी है 

कर्म के कुछ बंधन उसके भी हैं 

मिलना मिलाना सभी रोज़ होता नहीं 

ऐतबार - ए- सरहद अब भी तो है ।  


अधूरी रही एक कहानी उसकी भी है 

प्रीत को ढूँढ़ती तीस उसकी भी है 

इन सांसो की खुशबू मिली है मगर 

तुझमे बाकि का खोना अब भी तो है 


तुझसे कहना बहुत कुछ अब भी तो है 

तुझसे सुनना बहुत कुछ अब भी तो है 

कह सकेंगे कभी मन का विश्वाश  है 

इस कहानी की मंजिल अब  भी तो है 

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