जीवन दर्शन

 जिस पर कोई हक़ नहीं था वो अब हक़ सा देता है 

इसी रुप में, इस बन्धन में, पूरा जीवनदान मिलेगा।


अपनों मै शामिल सा था जो अब अपना सा कहता है 

इसी राह में इसी जन्म में एक छोटा सा समर्पण होगा । 


जो दिन मेरा कभी नहीं था वो मेरा सा लगता है 

इसी रूह में इस तन मन पर पूरा मन का तर्पण होगा 


सम्बन्धों का साथ लिखेंगे जीवन की परिपाटी होगी 

रजकण में जीवन  की आशा पूरा जीवन दर्शन होगा 

Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण