एक तूने आके

 निशाँ तो मिट रहे हैं पर रंग गहराता गया 

छोटा सा एक रास्ता मक़ाम तक लाता गया 

सदियाँ से यूँ तो हम भी मुहाजिर ही रहे 

एक तूने आके घर को घर सा बना दिया 


रिश्ते छंट रहे हैं पर अपनापन दिखने लगा 

बातों का एक दौर अंजाम तक लाता रहा 

सदियाँ से यूँ तो हम  भी अजनबी ही रहे 

एक तूने आके हमको हमसा बना दिया 


सांसे तो थम रही हैं पर जीवन जगाता ही रहा 

आशाओं का एक झौंका मंजिल तक आता लगा 

सदियों से यूँ तो हम भी एकाकी ही रहे 

एक तूने आके हमको अपना सा बना दिया 

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