मानता है

 वो भी मानता सहर्ष सा मैं भी जानता सदा से हूँ 

वोही डर रहा यहाँ भी है वोही डर वहां रहा सदा 

सहमे रहे कदम सदा हर भावना के मोड़ पर 

मैं न मैं रहा न तू तू रहा ये देह एक सा लगा 


वो भी मानता है कुछ तो है मैं भी जानता सदा से हूँ 

वो भी पास मेरे आ गया मैं भी पास था रहा सदा 

सहमे रहे ये लब सदा हर बात की तलाश में 

कह गया मैं तू सुना ये विचार एक सा लगा 


वो भी मानता है लाम है मैं भी जानता सरहद पे हूँ 

वो भी दोस्त सा बना मेरा मैं कहा दुश्मन रहा सदा 

सहमी रही  कसम सदा हर डर के एक छोर पर  

मानता तो  मैं भी हूँ तू मानता लगा सदा  

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