तुझे परवाह हो न हो

 तुझे  परवाह हो न हो मेरा संघर्ष मुझसे है 

रहम की बात कब थी ये मेरा स्नेह मुझ तक है 


दीवारों पर लगी काई तारों पर बढ़ीं बेलें 

ये मन तुझसे मुक्कमल है तेरा निर्माण तु जाने

तेरा ही घर दीवारें भी तु मालिक तु तेरा निर्णय 

सजा दे काई बेलों से या नव निर्माण तु कर दे 


मनों की ढेर इच्छाएं रिश्तों की  चहरदारी 

ये मन तुझ तक ही रहता है तेरा निर्वाण तु जाने 

तेरा ही डर तेरी शर्ते तु सोचें तु ही समझाए 

निभा दे सारे रिश्तों को या झरोखों को निगाह देदे 


आधी सी कई शामें कई बातें अधूरी सी 

ये मन तुझको ही सुनता है तेरा निर्योग तु जाने 

तेरा ही शक तेरी चिंता तु शंका तु ही बतलाये 

अपना दे मन की चाहत को या फिर से तु कहीं चल दे 


तुझे  परवाह हो न हो मेरा संघर्ष मुझसे है 

रहम की बात कब थी ये मेरा स्नेह मुझ तक है

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