रुकना और रुकाना है

 जीवन की हर गलियों के कुछ ख्वाब अधूरे रहते हैं 

माँ- बाबा पुरवा के कुछ प्रामीत्य अधूरे रहते हैं 

कुछ खोना था कुछ खोना है सर्वस्य यहीं रुक जाना है 

इन सांसो के बंधन को भी रुकना और रुकाना है 


जीवन की हर गलियों के कुछ प्रयास अधूरे रहते हैं 

सत्य कर्म योजन के कुछ सपन अधूरे रहते हैं 

कुछ सीमाएं कुछ कसमें हैं आस यहीं रुक जानी है

इस मन के हर परिरंभन को रुकना और रुकाना है 


जीवन की हर गलियों के कुछ उत्साह अधूरे रहते हैं 

हार जीत से आगे भी कुछ सम्बन्ध अधूरे रहते हैं 

कुछ अपनापन कुछ अपने हैं संजोग यहीं रह जाने हैं 

इन यादों के सम्पर्कों को रुकना और रुकाना है 


खोना जीवन सत्य रहा हैं रेखाओं को बांचा है

कोशिश कर अब नदिया पर अवरोध एक बनाना है 

कुछ बह जाये कुछ रुक जाये नीर अनवरत रखनी है 

इन चाहों को बहने से अब रुकना और रुकाना है 

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