मैं अभिशापित

 मैं अभिशापित प्रश्न रहा हूँ जीवन ने जब उत्तर ढूंढें 

साथ चला है सब कुछ सब कुछ मंजिल आते दूर गए हैं 


बहा कहीं मैं खिसक गया हूँ 

था स्थिर सा काट दिया हूँ 

जीवन भर मर्यादा तुझसे

तू सरयू का नीर रहा है 


लड़ा कहीं मैं घिरा गया हूँ 

था मैं अकेला चुना गया हूँ 

जीवन भर ये रहा समर्पण 

तू व्यूह का वीर रहा है 


चाह कहीं मैं साथ रहा हूँ 

था साथ सा अलग रहा हूँ 

जीवन भर एक आशा तुझसे 

तू जीवन का कृष्ण रहा है 


मैं अभिशापित प्रश्न रहा हूँ जीवन ने जब उत्तर ढूंढें 

साथ चला है सब कुछ सब कुछ मंजिल आते दूर गए हैं


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