तुझे हक़ है

 मैं कुछ दूरी चला आया 

उम्मीदों का सफर तुझसे 

हो वो मन तो चल देना 

नहीं तो छोड़ देना तुम 


मैं कुछ सपने बुना आया 

ख़ुशी का गांव है तुझसे 

हो वो मन बसा देना 

नहीं तो तोड़ देना तुम 


मैं घर कुछ यूँ सजा आया 

उजालों की चमक तुझसे 

हो वो मन बिखर जाना 

नहीं तो उजाड़ देना तुम 


मैं जीवन यूँ ढल आया 

आदत हर जुडी तुझसे 

हो वो मन तो जुड़ जाना 

नहीं तो तोड़ देना तुम 


तुझे हक़ है तू जो भी कर 

उठेगी ये नज़र तुझ पर 

बढ़ाना है बढ़ा देना 

नहीं तो तु गिरा देना 




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