तुझे खो लूँ !

 कुछ पाकर तुझे खो लूँ !

नहीं सौदा नहीं होता 

कहाँ अरमान बेचे हैं

मनों का भाव नहीं होता 


बहुत थोड़ा बचा गौरव

वही जीना सिखाता है 

मुझे कमतर ही पाना है 

अमुल्यों को नहीं खोना 


कुछ लेकर तुझे खो लूँ !

यही पाना नहीं होता 

कहाँ ऊपर को उठना है 

जड़ों की राह हो गहरी 


जो थोड़ी सी बची पहचान 

वही हसना सिखाती है 

मुझे नीवों में जमना है 

उचाईयों पर नहीं रोना 


कुछ बनकर तुझे खो लूँ !

यही मिटना नहीं आता 

कहाँ दूरी बढ़ाना है 

सफर में साथ रहना है 


जो थोड़ी है मुलाकातें

वही पाना सिखाती है 

मैं  खोने से डरता हूँ  

पाने पर न इतराना 


बहुत थोड़ा बचा जीवन 

मुझे  शर्तों पे जीना है 

कोरे ही सही आदर्श 

मुझे नजरों में उठना है 

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