तेरा भी हक़ है

 एक दिन ले जाऊंगा तुझे गांव अपने 

मेरे बचपन की यादों पर तेरा भी हक़ है 


पेड़ चढूँगा बच्चों संग तू खेत मुंढेर बढ़ा लेना 

मेरे  लहलहाते खेतों पर तेरा भी हक़ है 


नदियों झरनों भीगेंगे तू मंदिर दर्शन कर लेना 

मेरे आँगन की खुशबू पर तेरा भी हक़ है 


कुलदेवी में शीश नवाना ग्राम देवता हो आना 

मेरे मानक  देवस्थानों पर तेरा भी हक़ है 


चाय की टपरी बैठेंगे तू पनचक्की भी हो आना 

मेरे खेतों के अनाजों पर तेरा भी हक़ है 


द्वार द्वार पर हाल कहेंगे तू माँ से बातें कर लेना 

मेरे घर के बड़े बुजुर्गो पर तेरा भी हक़ है 


गोशाला की गायों को हाथ पलाश चले आना 

मेरे घर के सारे जीवों पर तेरा भी हक़ है 


शिव भोले भंडारी का श्वेत हिमालय देख लेना 

मेरे उन खिड़की दरवाजों पर तेरा भी हक़ है 


पेड़ रोपना एक कहीं माँ के जंगल हो आना 

मेरे काफल रुद्राक्षों पर तेरा भी हक़ है 


वो खुले मंच स्कूलों के गुड़ लड्डू भी खा आना 

मेरे जीवन की नीवों पर तेरा भी हक़ है।  


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