बंधन मंथन तुझसे है

 एक अदना सा मुसाफिर हूँ 

सफर में साथ तेरे हूँ 

मैं ठूठों सा खड़ा राहों 

तेरे कदमों का साया हूँ 


एक खाली सा मकां हूँ 

आशंसा आस तेरा हूँ 

मैं साजों सा बजा बरसों

तेरे गीतों का जाया हूँ 


एक अधूरा ख़्वाब सा हूँ मैं 

प्रीत की रीत तुझसे है 

मैं रेती सा बहा दरिया 

तेरे दोआब का बांधा हूँ 


एक रिश्ता विश्वास का हूँ 

बंधन मंथन तुझसे है 

मैं खाली खंडहर सहरा 

तेरी आवाज़ जागा हूँ 


एक दौड़ती मरीचिका हूँ 

हर प्यास आस तुझसे है 

मैं खाली कुआँ गावों 

तेरी बरसात भीगा हूँ  

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