तु अनुज्ञा माँ सी

 मेरे अपने दुःख में भी  तु 

बांध गया है अपनों  से 

हैं जो वो बिन डोर बंधे हम 

तु बांध गया अनुबंधों से 


आशीषों का साथ रहा 

तब ही तुमको पाया है 

हैं वो जो हम कदम फूँकते

तु बढ़ आया विश्वासों से 


मेरे कम होते गावों में रिश्ते 

तु शहर बसाता अपनों से 

हैं वो जो हम अलग खड़े से 

तु  देता साथ अहसासों से 


मेरे गिने चुने से सपनों  में 

तु आस जगाता जीवन है 

हैं वो जो हम बिन रिश्तों के 

तु सबसे पास मनों के है 


ख़ाली हुई जगह जो घर में 

तेरे आकर भरी लगी 

हैं जो बाबा पास नहीं अब 

तु अनुज्ञा एक बस माँ सी है 



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