तू मेरी पहचान है

 कर्तव्यों में भी कर्मों में भी 

साथ तेरी यादों का  है 

चलता है खामोश सदा 

ये द्वन्द मेरी पहचान है 


होती कहाँ आशाएं जग में 

हर अजनबी हर छोर हैं 

कोई अपना मन बांधे है 

ये टक मेरी पहचान है 


खुशियों में भी दर्दों में भी 

साथ तेरी बातों का 

रहता है जो दूर सदा 

ये फ़ासला मेरी पहचान है 


होते कहाँ सब स्वप्न पूरित 

हर सुबह हर सफर में 

कुछ अधूरे ही सदा 

ये राह मेरी पहचान है 


एक चीरता है मनन ये 

हर रूप में हर साथ में 

हो अकेला ये सफर गर 

तू मेरी पहचान है 


Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण