देवस्थानम बोर्ड भंग

देवस्थानम बोर्ड भंग करना सरकार की बाध्यता बन गयी थी और ऐसा कर धामी जी ने अपने को थोड़ा शसक्त तो किया है  । खासकर केदारनाथ क्षेत्र में  देवस्थानम बोर्ड भंग करवाने  का श्रेय उसका विरोध कर रहे उन सब युवाओ को जाता है जो बिना किसी लीडरशिप के अकेले अकेले खुद की समझ से अपनी अपनी लड़ाई लड़ती रहे । ये सब वही  युवा हैं जिन्होंने एक नयी राजनीती को जन्म दिया है । खुलेआम सरकार का विरोध करना, जब कोई बड़ा नेता  किसी भी पार्टी का साथ नहीं था तब सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को ठंडा न पड़ने देने, कभी   ठंड में नंगे  बदन तपस्या करना , कभी पूर्व मुख्यमत्री को मर्यादा में रहकर केदारनाथ के दर्शन से रोकना , कभी सतपाल महाराज को मोदी की केदारनाथ यात्रा में शामिल न करवाने के लिए अड़  जाना , कभी दिल्ली से कभी  जयपुर , कभी हरिद्वार तो कभी जोशीमठ, गोपेश्वर , टेहरी से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में खड़े ये युवा दिखे तो मन इस बात के लिए जरूर खुश हुआ की ये युवा नयी राजनीती को जन्म जरूर देंगे।  ये जीत उन सब युवाओ की ही  है जिन्होंने राजनैतिक पार्टियों के बंधन से अलग धार्मिक   सामजिक, सांस्कृतिक हित को महत्व दिया।  

दूसरी और सरकार में शामिल राजनैतिक दल के  टिकट की जुगाड़ में लगे सभी भूतपूर्व और वर्तमान नेताओ को कभी केदारघाटी में तो कम से खुलकर कुछ कहते लिखते नहीं पड़ा।  ऐसे नेताओ को ये समझना जरूरी है की जहा उनके क्षेत्र की समस्याओं की बात आएगी वह खुलकर अपनी सरकार के विरुद्ध भी कहना पड़े तो कहना होगा।  आज सोशल मीडिया पर सबको बधाई देते टिकट की जुगाड़ में लगे बीजेपी के इस सभी नेताओ को समझना होगा ये युवा धामी जी का शुक्रिया तो अदा  कर सकते हैं पर आंदोलन के समय आपकी तटस्तथा और अपनी सरकार के विरुद्ध कुछ भी न कहना ये युवा भूल नहीं पाएंगे।  हर हार अपने चुवानी भाषणों में  " इस हिमालय से नई गंगा  " गाने वाले नेताओ को ये भी  याद रखना होगा " जो तटस्थ  थे (हैं ) समय लिखेगा उनके भी अपराध " 

विपक्ष के नेता भी  कम नहीं थे  धर्म पर जाती की श्रेष्ठ्ता वाले ये विपक्षी नेता  भी खुलकर कभी कुछ नहीं कह पाए कहीं 'ब' के चक्कर में  "ख " नाराज न हो जाएँ।  

राजनीती बदल गयी है पुराने  नेताओ ये युवा कुछ नया लिखेंगे ।  पक्ष और विपक्ष में बैठे लोग भी ये समझ लें कि अब नए नेताओ को ढूंढ़ने का समय आ गया है नहीं तो केदारनाथ सीट और देवस्थामान से जुडी सीटों  पर अभी  चुनावी मुद्दा सेट होने में समय लगेगा ।  

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