ये तय है

 वो घण्टों की बातों का निष्कर्ष एक ही है 

कि भूले न भूलेंगे मनों के रिश्तें ये तय है 

मंजिल मिले न मिले  ये अलग बात है 

रास्तों के सफर साथ तय होंगे ये तय है 


वो रूठना मानना चलना ही है सतत 

मनों में बसने वाले दूर न होंगे ये तय है 

रिश्तों को नाम मिले न मिले ये और है 

रे मन तु पास है  सबसे  ये तय है 


कल क्या होगा ये सोच अब आती नहीं  

ये खुशियां जीवन संग रहनी है ये तय है 

बारिश में भीगे न भीगे ये अलग बात है

भावनाओं का समुन्दर उमड़ेगा ये तय है 


Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण