वो देता है जहां मुझको

मेरी ही तस्वीर मुझे भेजकर
मेरा अक्स मांगता है
जब लगता  दूर जायेगा
वो बाहों में सुला देता है

मुझसे नाराज गर हो कभी
मुझे ही मनाता है
जब लगता है भूल जायेगा
वो पास बैठ जाता है 

मेरी दुनिया बसी उसमें
मेरी जिदगी संवरती है
जब लगता है अब रोना है
वो गले लगा लेता है

विश्वासों की फसल उससे
मेरी पहचान है उससे
जब लगता अब खोना है
वो देता है जहां मुझको। 

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