अमूल्य

 जो जग है अमूल्य मुझे 

मैं खुद में खोने को सोचा था 

दो बातों का मोल बढ़ा 

वो कीमत मेरी बढ़ा गया 


जिसके लिए थमा थोड़ा सा 

अवसर खुशियां सहमा सा था 

समय निकाल कर चोरी से 

वो अहमियत मेरी बढ़ा गया 


जो जीवन दे गया मुझे सभी 

मैं यादों में जीने  वाला था 

घेरकर मुझको बाँहों में 

वो सांसे मेरी बढ़ा गया 


जिसके लिए जीता थोड़ा सा 

अक्सर सहमा रहता हूँ 

मुझको सारा हक़ देकर 

वो अमूल्य बनाता है मुझको 


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