खिसकता पहाड़

खिसकता पहाड़ हूँ 
कमता सा जंगल हूँ मैं 
ख़त्म होते पन्नों पर 
अधूरी सी कहानी हूँ 

अँधेरा गहराता शून्य का 
अर्श पर चाँद हैं 
उम्मीदों के महल सारे 
संभावना के पहाड़ हैं 

झुरमुट में छाँव यादों की 
सूखता 'पयार' हूँ 
दावानल की लपटों में 
खरहा की दौड़ हूँ 

शिलालेख स्नेह का 
तामपत्र हूँ अक़ीदा का 
आशीषों के अशेष पर 
मिटती भाग्य रेखा हूँ 

एक तेरे भरोसे बैठा हूँ 
थमता, बहता अटका हूँ 
खिसकता पहाड़ हूँ 
कमता सा जंगल हूँ मैं 


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