मेरे जीवन सार में

 कभी ये बातें कभी ख़ामोशी 
कभी ये गुस्सा कभी वो अपना
जैसे तैसे प्यार सीखा गया 
मुझको जीवन सार में 
रात रात भर तुमको लिखा 
सुबह हुआ गुमनाम मैं 

कभी समर्पण कभी सादगी 
कही पकड़ना कभी छुपाना 
जैसे तैसे साथ आ  गया 
मेरे जीवन सार में 
रात रात भर तुमको लिखा 
सुबह हुआ गुमनाम मैं

कभी वो नदिया कहीं समुन्दर 
कभी प्यास और कभी ये तड़फन 
कही वो खुशबू पास बह गयी 
मेरे जीवन सार में 
रात रात भर तुमको लिखा 
सुबह हुआ गुमनाम मैं

कभी मनाना कभी रूठना 
कभी शिकायत कभी ये शिकवा  
कभी पराया कभी वो अपना 
आज संदूरी मांग में 
रात रात भर तुमको लिखा 
सुबह हुआ गुमनाम मैं

रोती शाम अधूरी रातें 
कभी मनन की मौन ख़ामोशी 
सदा मनों की दीवारों को 
सजा दिया स्नेह में 
रात रात भर तुमको लिखा 
सुबह हुआ गुमनाम मैं

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