मेरी गंगा

 मेरी भी एक गंगा है 
जो मुझमे बहती रहती है 
सम्मानों के पार शिखर से 
मुझसे कहती रहती है 
हर धारा स्नेह भरी है 
ओत प्रोत सी  रहती है 
मुझको अपने संग बहाकर 
मुझमें मिलती रहती है 

मेरी भी एक गंगा है 
जो स्वच्छ सावली दिखती है 
पतित पावनी मन मंदिर से  
मुझमें रमति रहती है 
हर स्पर्श अनोखा है और
रोम रोम में बसती है 
मुझको अपने रंग ऱगाकर 
मेरे रंग में रंगती है 

मेरी भी एक गंगा है 
जो मंद मंद सी बहती है 
हर खुशबू का झोंका ओढें
मुझे ढाँकती रहती है 
हर समय की बाँध वो सीमा 
संग संग में चलती है 
मुझको अपने साथ मिलाकर 
मुझमें घुल ही जाती है 



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